मंगलवार, 8 नवंबर 2011

उभरते भारत में बढ़ती बाल मजदूरी

उभरते भारत में बढ़ती बाल मजदूरी
भारत को आर्थिक महाशक्ति के रूप में देखा जा रहा है। वहीं भारत आर्थिक महाशक्ति बनने के लिए आर्थिक विकास दर को बढ़ाने पर जोर देता रहता है। हमें यह भी देखना होगा कि यह आर्थिक विकास कितने लोगों को लाभान्वित करता है। भारत के आर्थिक विकास पर अंतर्राष्ट्रीय श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट ने सवाल खड़े कर दिये है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 215 करोड़ बाल मजदूर है। वहीं अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट के अनुसार भारत बाल मजदूरी के मामलों में सबसे आगे है।
 भारत में बाल मजदूर बीड़ी, ईंट, चूड़ी, ताले, माचिस जैसे 20 उत्पादों के निर्माण में लगे है। इसके साथ ही जबरन बाल मजदूरी करवाने में भी भारत  शीर्ष पर है। अफ्रीका, एशिया, और लातिन अमेरिका के 71 देशों में बाल मजदूर ईंट, बॉल से लेकर पोर्नोग्राफी तथा दुर्लभ खनिजों के उत्पादन जैसे कार्यों से जुड़े है। विश्व में सबसे अधिक उत्पाद भारत, बांग्लादेश और फिलीपींस में बनते है।
 हमारे देश में बाल मजदूरी को रोकने के लिए कई कानून बनाये गये है। इसके साथ ही पिछले वर्ष से राइट टु ऐजुकेशन के तहत 6 से 14 तक के बच्चों को मुफ्त शिक्षा भी दिये जाने की व्यवस्था की गई है। इसके वाबजूद भी बाल मजदूरी में कमी नहीं आ रही है। तो इसके पीछे मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या और बच्चों से कम पैसों में अधिक काम लेना भी है।
जिन बच्चों के हाथों में पेन, पैंसिल और किताबें जैसी चीजें होनी चाहिए, उन बच्चों के हाथों में माचिस, पटाखे जैसे उत्पादों को थमा दिया जाता है। भारत जैसे आर्थिक शक्ति वाले देश की हकीकत ऐसी होगी तो अन्य देशों की स्थिति के बारे में क्या कहा जा सकता है।
 बाल मजदूरी से बच्चों का भविष्य ही नहीं देश का भविष्य भी बर्बाद हो रहा है। जब बच्चों को बाल मजदूरी में झोंका जायेगा तो वह कैसे पढ़ेगें और इनका भविष्य क्या होगा। इन बच्चों को क्यों बाल मजदूरी करनी पड़ रही है। यदि शिक्षा सुधार और बाल मजदूरी से संबंधित कानून के वाबजूद भी बच्चों का बचपन छीन रहा है। तो इसके लिए हमारी सरकार की नीतियां और बढ़ती जनसंख्या जिम्मेदार है।