शुक्रवार, 23 मार्च 2012

रिश्तों में अकेलापन

आज की भागदौड़ भरी जिदंगी के कारण रिश्ते और दोस्त कहीं पीछे छूटते जा रहे है। इस कारण आज संयुक्त परिवार टूट रहे हैं और एकल परिवार बढ़ रहे हैं। खासकर शहरों में एकल परिवार की परम्परा काफी तेजी से बढ़ रही है। वहीं इससे अकेले रहने की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है।
जबकि पिछले साल इस अकेलेपन की प्रवृत्ति और तनाव के कारण ही राजधानी दिल्ली में दो-तीन लोगों की मौत हो गई थी। भले ही इस तरह की घटनाओं की संख्या कम हो। लेकिन जिस तरह से भारत में भी अब अकेले रहने की प्रवृत्ति बढ़ रही। उससे आने वाले समय में इस तरह की घटनाओं की संख्या में इजाफा होगा।
टाइम पत्रिका के ताजा अंक में अकेलेपन की बढ़ती प्रवृत्ति का भी जिक्र किया गया है। इस अकेलेपन की प्रवृत्ति में सबसे ऊपर स्वीडन 47 प्रतिशत, ब्रिटेन 34 प्रतिशत, जापान 31 प्रतिशत, कनाडा 27 प्रतिशत, केन्या 15 प्रतिशत, ब्राजील 10 प्रतिशत और भारत 3 प्रतिशत पर है। हालांकि अकेलेपन की सूची में भारत सबसे नीचे है लेकिन यह प्रवृत्ति भारत में भी तेजी से बढ़ रही है।
इस रिपोर्ट को देखकर कहा जा सकता है कि भारत में ही नहीं दुनिया भर में अकेले रहने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। इसका एक कारण पढ़ने या काम के कारण अपने परिवार दूर रहना भी है। इससे जहां वह दूसरे राज्य या शहर में जाकर अकेला रहता है। वह दोस्त बनाना चाहता है लेकिन अब ऐसे दोस्त भी बहुत कम मिल पाते है। ऐसे में वह अकेला रह जाता है।
तो एक ओर फेसबुक जिसे दोस्ती का अड्डा भी कहा जाता है । दोस्ती के इस अड्डे पर लोगों के सैकड़ों दोस्त हो लेकिन आज वो दोस्त नहीं है जिसके साथ हम कभी हंसते और रोते थे। वो दोस्त जो हमें समझते थे और हमारी भवानाओं को समझते थे। जो दोस्त हमारे उदास और दुखी होने पर हमें संभाला करते थे। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता जिसे हम खुद चुनते थे। यह रिश्ता सबसे अनोखा होता क्योंकि इस रिश्ते में कोई छोटा- बड़ा नहीं होता है।
दूसरी ओर बदलती जीवनशैली भी अकेलेपन को बढ़ावा देने के लिए कहीं न कहीं जिम्मेदार है। सिर्फ यही नहीं इसके कारण संयुक्त परिवार भी टूट रहे हैं। बदलती जीवनशैली तनाव को भी बढ़ा रही है। लिहाजा हर व्यक्ति जाने-अनजाने अवसाद का शिकार हो रहा है।

आज भले ही हम अपने करियर बनाने के लिए दोस्तों और रिश्तों से दूर होते जा रहे है। लेकिन जब कैरियर बन जाता है तब तक हमें अकेले रहने की आदत हो जाती है। अकेले रहना कोई गलत बात नहीं। लेकिन आज अकेले रहने के साथ ही हमारे रिश्तों में भी अकेलापन आ गया है। आज भले ही हमारे पास काफी सुख-सुविधाएं हो। जबकि इन सुख-सुविधाओं के बाद भी हम अकेले रह गए।