गुरुवार, 3 मई 2012

निर्मल बाबा और टीआरपी का खेल

पिछले दो-ढाई महीनों से हिंदी न्यूज चैनलों पर एक बाबा काफी दिखाई दे रहे थे। इन बाबा का नाम निर्मलजीत सिंह नरूला है, लेकिन न्यूज चैनलों ने इन्हें निर्मल बाबा बना दिया। खैर , निर्मल बाबा का खुलासा तो हो गया। निर्मल बाबा और टीआरपी को लेकर मीडिया स्टडीज ग्रुप ने एक अध्ययन किया। इसमें बताया गया है कि निर्मल बाबा को सबसे पहले कमाई का जरिया न्यूज 24 ने बनाया। इसके बाद धीरे-धीरे सभी न्यूज चैनल निर्मल बाबा को दिखाने की होड़ में शामिल हो गए। इन न्यूज चैनलों में थर्ड आई आॅफ निर्मल बाबा के प्रायोजित कार्यक्रम चलाने के पीछे मची होड़ का मकसद टीआरपी हासिल करना रहा है। इस प्रायोजित कार्यक्रम ने टीआरपी के सारे रिकार्ड तोड़ दिए। अण्णा आंदोलन के लाइव कवरेज को 37.5 रिकॉर्ड टीआरपी मिली, लेकिन निर्मल बाबा के कार्यक्रम की टीआरपी 40 के आस-पास पहुंच गई। वहीं रिपोर्टों के मुताबिक निर्मल बाबा का कार्यक्रम चैनलों के टॉप 50 कार्यक्रमों में ऊपर से नीचे तक छाया रहा। तो न्यूज 24 का निर्मल बाबा कार्यक्रम 13वें हफ्तें टॉप पर रहा।हालांकि कुछ न्यूज चैनल इस कार्यक्रम के खिलाफ भी थे। उनकी टीआरपी में लगातार गिरावट देखी गई। टीआरपी की होड़ से पत्रकारिता के मानकों में भी गिरावट आई। इन सब के लिए टीआरपी की होड़ में शामिल न्यूज चैनलों के साथ टैम मीडिया रिसर्च भी बराबर का दोषी है। टैम मीडिया रिसर्च वह संस्था है जो हर सप्ताह टीआरपी के आंकडे जारी करती है । टीआरपी नामक व्यवस्था की शुरूआत 1993 में हुई। विज्ञापनों के लिए टीआरपी की प्रक्रिया शुरू हुई। टैम मीडिया रिसर्च न्यूज चैनलों के कार्यक्रमों की लोकप्रियता के आधार पर टीआरपी तय करता है। टीआरपी के लिए बड़े शहरों में 8,000 से अधिक टीआरपी मीटर लगाए गए है। टीआरपी से ही चैनलों की रैकिंग तय होती है। रैकिंग के आधार पर ही चैनलों को विज्ञापन मिलते है। टीआरपी हासिल करने के मकसद से ही निर्मल बाबा को दिखना शुरू किया गया। यह प्रायोजित कार्यक्रम जनवरी अंत से मार्च अंत तक सुबह से लेकर रात तक चलता रहा। प्रायोजित कार्यक्रम विज्ञापन होते है। लेकिन न्यूज चैनलों ने इस कार्यक्रम को प्रायोजित कार्यक्रम बताने की जहमत तक नहीं उठाई, जो कि कंटेट गाइड लाइन का उल्लंघन है। निर्मल बाबा के कार्यक्रम पर सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय और एनबीए (न्यूज ब्रार्डक्रास्टर्स एसोसिएशन) जैसी संस्थाओं ने भी कोई आपत्ति नही जताई, न ही चैनलों को अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली सामग्री प्रसारित करने से रोका। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया के लिए गाइड लाइन बनाने पर अपनी गंभीर टिप्पणी दी हैं। अब न्यूज चैनलों पर जब निर्मल बाबा का खुलासा होने लगा तो इंडिया टीवी ने स्टिंग आॅपरेशन करके बाबा की पोल-खोली तो उसकी टीआरपी 4.7 बढ़त के साथ टॉप पर पहुंच गई। इस बार खेल उलटा पड़ गया खुलासे को दिखाने वाले चैनलों की टीआरपी बढ़ गई और प्रायोजित कार्यक्रमों को दिखाने वाले चैनलों की टीआरपी में गिरावट आई। अक्सर न्यूज चैनलों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि हम वहीं दिखाते है, जो जनता देखना चाहती है। अब निर्मल बाबा के प्रायोजित कार्यक्रम से लेकर खुलासे तक की टीआरपी को देखा जाए तो कहा जा सकता है कि जनता केवल निर्मल बाबा को ही नहीं देखना चाहती, बल्कि इन बाबाओं के खुलासे भी देखना चाहते है।