शनिवार, 14 जुलाई 2012

क्यों लोग लगा रहे हैं मौत को गले


              
    राष्ट्रीय अपराध रिकॉडर््स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों और द लैंसेट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक  वर्ष 2011 में भारत में 1 लाख 35 हजार से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की।  भारत में हर घंटे औसतन 16 लोगों ने मौत को गले लगाया है, जबकि  2010 में आत्महत्या करने वालों की संख्या 1 लाख 34 हजार से ज्यादा थी। साल दर साल आत्महत्या करने वाले लोगों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है।

    इस रिपोर्ट के अनुसार परिवहन हादसों के बाद आत्महत्या लोगों में मौत का दूसरा बड़ा कारण है।  मौत को गले लगाने में सबसे ज्यादा 15 से 29 वर्ष के युवा है। भारत में 48 हजार से ज्यादा युवाओं ने आत्महत्या की, तो वहीं आत्महत्या करने वाले पांच लोगों में एक गृहिणी है।

    कुछ समय से कहा जा रहा है कि आने वाले कुछ सालों में भारत सबसे ज्यादा युवाओं वाला देश होगा , लेकिन युवा ऐसे ही मौत को गले लगाते रहे, भारत के युवा देश होने का सपना टूट जाएगा।

    अगर आत्महत्या के कारणों पर सोचा जाए तो इसका मुख्य कारण आज की बदलती जीवन शैली और अकेले रहने की प्रवृत्ति को कहा जा सकता है। अकेले रहने की प्रवृत्ति से लोग तनावग्रस्त और अवसाद का शिकार हो रहे है और मौत को गले लगा रहे है। वहीं, आज के युवाओं की जो महत्वकांक्षाएं  है, उन्हें पूरा करने के लिए उनके पास अवसर नहीं है , जिससे वह  जिंदगी से हताश हो रहे है।

    एक अन्य कारण पारिवारिक समस्याएं भी है। जिस तरह आज हमारे परिवार टूट रहे, कलह बढ़ रहा, इससे भी लोग आत्महत्या करने को विवश हो रहे है।

   आत्महत्या के इन आंकड़ों पर गौर करने की जरुरत है, ताकि इन आंकड़ों में बढ़ोतरी न हो और हमारे देश के युवा आत्महत्या करने से बचे, वरना युवाओं के देश और आर्थिक महाशक्ति का सपना कहीं टूट न जाएं।

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