हरियाणा में 34 दिनों में 19 बलात्कार की घटनाएं हुई। इन घटनाओं ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि महिलाएं या लड़कियां कितनी सुरक्षित है। तो वहीं बलात्कार की घटनाओं पर आए बयानों से महिलाओं को लेकर हमारे समाज की सोच का भी पता चलता है।
कुछ माह पहले दिल्ली में हुई बलात्कार की एक घटना में जब पीड़िता की पुलिस ने पहचान उजागर की थी, तब तहलका ने अपने अप्रैल के अंक में बलात्कार के मामले में 30 पुलिसकर्मियों बात-चीत की, जिसमें से 17 पुलिसकर्मियों ने महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रह और बलात्कार की शिकार लड़कियों के प्रति असंवदेनशीलता दिखाई। उस तहकीकत से एक बात ओर सामने आई थी कि लड़की को हमेशा ही दोषी ठहराने की कोशिश की जाती है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले सात साल में हरियाणा में बलात्कार की वारदातें दोगुनी हुई हैं। 2004 में 386 बलात्कार दर्ज करने वाले राज्य में 2011 में बलात्कार की 733 घटनाएं सामने आई है।
अब जब हरियाणा में बलात्कार की घटनाएं थम नहीं रही है। इन घटनाओं पर आए बयानों पर गौर करें। सोनिया गांधी ने कहा कि रेप तो पूरे देश में हो रहे हैं। तो वहीं कांगेस नेता धर्मवीर गोयत ने बलात्कार के लिए महिलाओं को ही जिम्मेदार ठहराया है। दूसरी ओर खाप पंचायतें रेप की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए लड़कियों की शादी की उम्र को 18 से 16 साल करने की सलाह दे रही है, तो एक खाप नेता जितेंद्र छत्तर सिनेमा, संस्कृति और फास्टफूड को जिम्मेदार ठहरा रहे है। इन बयानों में कहीं भी सही मायने बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिए कोई अहम कदम उठाने की बात नहीं की गई है। जो खाप पंचायतं स्वयं को गांव और परंपरा का रखवाला बताती है या फिर वह नेता जिन्हें जनता चुनकर भेजती है, वह ऐसे बयान देंगे तो उनसे क्या उम्मीद की जा सकती हैं। इन बयानों में लड़की को ही दोषी ठहराया गया है। इसे सिर्फ पितृसत्तात्मक और सामंतवादी सोच का पता चलता है।
एक अन्य तर्क यह भी दिया जाता है कि लड़कियां भड़काऊ कपड़े पहनती है और मेकअप करती है, जिससे उनके साथ रेप होता है। ऐसे बेतुके तर्क देने के बजाए हमें मानसिकता को बदलना चाहिए। हम आधुनिक तो बन गए, लेकिन हम आज भी अपनी सोच को आधुनिक नहीं बना पाए।
कैबिनेट ने जहां महिलाओं को अश्लील एसएमएस, एमएमएस और ई-मेल भेजने वाले कानून में संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत ऐसा करने वालों को पहली बार दो साल की कैद और 50 हजार का जुर्माना, दोबारा ऐसा करने वालों को सात साल सजा और एक से पांच लाख तक के जुर्माने की व्यवस्था की है। इसे भले ही महिलाओं को कुछ राहत मिले, लेकिन नेताओं के बलात्कार की घटनाओं पर आए बयानों से तो महिलाओं में असुरक्षा की भावना ही पैदा होगी। नेताओं को ऐसी बयानबाजी के बजाए बलात्कार की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए। कानूनों को अमल में लाया जाना चाहिए। हमारे पुलिस तंत्र को भी इन घटनाओं में संवेदनशीलता दिखाने की आवश्यकता है।
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